Saturday, March 9, 2019

Tu Sufi wala pyaar...




(Photo Credits: Thank you Hussain for being there at the right moment to capture this frame)


तू रुमी कि गझल है शायद, या शायरी गुलझार की
मेहफिल का कदरदार है या, इबादत कलाकार की.

तू बचपन के होटो पे सजी मासूम सी मुस्कान,
या है तू मिठी नींद के ख्वाबो का मेहमान.

किताबो मे ना लिख पायी वो किरदार है तू, शायद.
तुझे समझने  की  करी है इन लफ्झो ने इनायत

तू खूबसूरत, पर गेहरा सा कोई एक फसाना.
मेरा नही तू, शायद ,किसी और ही कवी की कल्पना.   

इस नाचिज की जुर्रत, या चहात सुफी वाले प्यार की.
तू रुमी कि गझल है शायद, या शायरी गुलझार की.

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